ह्यूगो ग्रोशस ने 1525 में अपनी किताब में लिखा था कि प्रजा की सम्पत्ति राज्य के एमीनेन्ट डोमेन के अधीन है।
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यही वजह है कि सर्वोच्च न्यायालय को ह्यूगो ग्रोशस और कांट तो याद आते हैं, लेकिन अपना संविधान नहीं याद आता।
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स्टेट ऑफ बिहार बनाम महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह (1952) के मामले में एमीनेन्ट डोमेन के सिद्धान्त पर टिप्पणी करते हुये सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान को उद्धृत करने की जगह राजनीतिक विचारक ह्यूगो ग्रोशस की बात को महत्व दिया।
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उसी फैसले मे जिसमें सवौच्य न्यायालय ने ह्यूगो ग्रोशस को उदधृत किया था, दार्शनिक काण्ट को भी उदधृत कर किया, जिसके अनुसार ‘‘ राज्य में स्वाभाविक रूप से ‘ सम्प्रभु सत्त्ता ‘ का निवास है वह प्रजा की संपत्त्ति है, बशर्ते उन्हें उचित मुआवजा दिया जाय।